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ख़ामोश आँखों की भाषा / प्रेमनन्दन
Kavita Kosh से
हरामख़ोरी की चमक से
लाखों गुना अच्छा है
मेहनत का खुरदुरापन !
सैकड़ों सौन्दर्य प्रसाधनों से लिपे-पुते
दुनिया के सबसे हसीन चेहरे से
लाखों गुना अच्छा है
धूल, मिट्टी और पसीने से सना
मज़दूर का चेहरा !
दुनिया भर की लफ़्फ़ाजी करती
दम्भ भरी,
बजबजाती आवाज़ों से
बहुत अच्छी है
अपने मेहनताने की आस में
टुकुर-टुकुर झरती
ख़ामोश आँखों की भाषा !