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ख़ामोश न रहिये कोई बात कीजिये / अबू आरिफ़
Kavita Kosh से
ख़ामोश न रहिये कोई बात कीजिये
तन्हा जो किया करते थे अब साथ कीजिये
वो शाम तवील और वह लम्हें इन्तिज़ार
अपनी स्याह ज़ुल्फ़ों से ही रात कीजिये
ये बात दिगर है कि खिलवत कदे में है
आये है तो उनसे मुलाकात कीजिये
क्या कुछ छुपा के रखा है उस नशतर-एदिल में
करना है राज़ फ़ाश तो एक साथ कीजिये
आरिफ़ ने अगर छेड़ दी है अगर अन्जुमन की बात
फिर आप ही तनहाइयों की बात कीजिये