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ख़ुदा जब मिले वह जमीं माँग लूँगा / बाबा बैद्यनाथ झा

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ख़ुदा जब मिले वह जमीं माँग लूँगा
जहाँ तुम रहो मैं वहीं माँग लूँगा

मुहब्बत तुम्हारी मिले जिसतरह से
मिले खामियाँ वह कमी माँग लूँगा

हमारा हृदय गर बहुत खुरदुरा है
तुम्हारे लिए मैं नमी माँग लूँगा

अगर तुम कहो तो सितारों के आगे
उड़ेंगे जहाँ नाज़नीं माँग लूँगा

नहीं जान पाया मुहब्बत निभाना
सिखाए हुनर वह यव़फ़ीं माँग लूँगा

निभाते रहो जब सदा साथ फ्बाबाय्
कभी दूसरे को नहीं माँग लूँगा