ख़ुदा रखे तुझे मेरी बुराई देखने वाले / 'बेख़ुद' देहलवी
ख़ुदा रखे तुझे मेरी बुराई देखने वाले
वफा-दारी में तर्ज़-ए-बे-वफ़ाई देखने वाले
सँभल अब नाला-ए-दिल की रसोई देखने वाले
कयामत ढाएँगे रोज़-ए-जुदाई देखने वाले
तेरे ख़ंजर को भी तेरी तरह हसरत से तकते हैं
तेरी नाज़ुक कमर नाज़ुक कलाई देखने वाले
झिझक कर आईना में अक्स से अपने वो कहते हैं
यहाँ भी आ गए सूरत पराई देखने वाले
पलक झपकी कि दिल ग़ायब बग़ल ख़ाली नज़र आई
तेरी नज़रों की देखेंगे सफ़ाई देखने वाले
इन्हीं आँखों से तू ने नेक ओ बद आलम का देखा है
इधर तो देख ऐ सारी ख़ुदाई देखने वाले
गिरे गश खा के जब मूसा कहा बर्क़-ए-तजल्ली ने
क़यामत तक न देगा वो दिखाई देखने वाले
मेरी मय्यत पे बन आई है उन की सब से कहते हैं
वफ़ादारों की देखें बे-वफ़ाई देखने वाले
नज़र मिलती है पीछे पहले तनती है भंवें उन की
कहाँ तक देखे जाएँ कज़-अदाई देखने वाले
मिटा इंकार तो हुज्जत ये निकली मुँह दिखाने में
कि पहले जम्मा कर दें रू-नुमाई देखने वाले
कहाँ तक रोएँ क़िस्मत के लिखे को बस उलट पर्दा
तुझे देखेंगे अब तेरी ख़ुदाई देखने वाले
कभी क़दमों में था अब के उन के दिल में है जगह मेरी
मुझे देखें मुकद्दर की रसाई देखने वाले
कोई इतना नहीं जो आ के पूछे हिज्र में ‘बे-ख़ुद’
तेरा क्या हाल है रंज़-ए-जुदाई देखने वाले