ख़ुद अपने जाल में तू आ गया ना 
सज़ा अपने किए की पा गया ना 
कहा था ना यकीं मत कर किसी पर 
यकीं करते ही धोका खा गया ना 
ज़मीं पर तुझमें कितनी सादगी थी 
फ़लक पर जाते ही इतरा गया ना 
असर देखा बुज़ुर्गों की दुआ का 
भँवर को भी पसीना आ गया ना 
ख़ुदाया कोई तो हमसे भी कहता 
कोई चिंता न कर मैं आ गया ना