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ख़ुद ही झूमा गाया कर / रविकांत अनमोल
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ख़ुद ही झूमा गाया कर
अपना मन बहलाया कर
जग के झाम झमेलों में
ख़ुद को मत उलझाया कर
बच्चे बड़े सयाने हैं
उनको मत समझाया कर
दुनिया कहाँ समझती है
समझे तो समझाया कर
बाहर रक्खा ही क्या है
तू ख़ुद में खो जाया कर
भोर में निकला कर घर से
सांझ ढले घर आया कर
रोया कर मन के रोये
मन गाए तो गाया कर
ऐ सुन ओ भोली सूरत
सपने में मत आया कर
मयख़ाने सी आँखों से
मुझको मत बहकाया कर