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ख़ुशआमदीद / गगन गिल
Kavita Kosh से
दोस्त के इंतज़ार में
उसने सारा शहर घूमा
शहर का सबसे सुंदर फूल देखा
शहर की सबसे शांत सड़क सोची
एक क़िताब को छुआ धीरे-धीरे
उसे देने के लिए
कोई भी चीज़ उसे
ख़ुशआमदीद कहने के लिए
काफ़ी न थी !
1986