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ख़ुशनुमा बरसात में / लैंग्स्टन ह्यूज़

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ख़ुशनुमा बरसात में
धरती फिर से उर्वर हो उठती है
हरी घास उगने लगती है
और फूल सिर उठाने लगते हैं
और चारों ओर
जैसे किसी आश्चर्य-लोक की
सॄष्टि हो जाती है
ज़िन्दगी के आश्चर्य-लोक की

ख़ुशनुमा बरसात में
तितलियाँ अपने मखमली पंख खोलती हैं
इन्द्रधनुष का नज़ारा पेश करने के लिए
और पेड़ अपने नए पत्ते खोलते हैं
गीत गाने के लिए
आकाश के नीचे
ख़ुशियों के गीत

उसी समय सड़कों पर
लड़के और लड़कियाँ भी
गाते हुए गुज़रते हैं
ख़ुशनुमा बरसात में

जब नई बहार का मौसम होता है
और ज़िन्दगी का
ख़ुशनुमा बरसात में


मूल अंग्रेज़ी से अनुवाद : राम कृष्ण पाण्डेय