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ख़ुश-जमालों की याद आती है / सिकंदर अली 'वज्द'
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ख़ुश-जमालों की याद आती है
बे-मिसालों की याद आती है
बाइस-ए-रश्क मेहर ओ माह थे जो
उन हिलालों की याद आती है
जिन की आँखों में था सुरूर-ए-ग़ज़ल
उन ग़ज़ालों की याद आती है
सादगी ला-जवाब है जिन की
उन सवालों की याद आती है