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ख़ुश हूँ कि मेरा हुस्न-ए-तलब काम तो आया / शकील बँदायूनी
Kavita Kosh से
ख़ुश हूँ कि मेरा हुस्न-ए-तलब काम तो आया
ख़ाली ही सही मेरी तरफ़ जाम तो आया
काफ़ी है मेरे दिल कि तसल्ली को यही बात
आप आ न सके आप का पैग़ाम तो आया
अपनों ने नज़र फेरी तो दिल ने तो दिया साथ
दुनिया में कोई दोस्त मेरे काम तो आया
वो सुबह का एहसास हो याँ मेरी कशिश हो
डूबा हुआ ख़ुर्शीद सर-ए-बाम तो आया
लोग उन से ये कहते हैं कि कितने हैं "शकील" आप
इस हुस्न के सदक़े में मेरा नाम तो आया