Last modified on 26 फ़रवरी 2018, at 18:44

ख़ून है नक़्शे-दस्ते-माली है / सूरज राय 'सूरज'

ख़ून है नक़्शे-दस्ते-माली है।
कौन से पेड़ की ये डाली है॥

दाग़ चेहरे पर अब नहीं उसके
कुछ नहीं सर्जरी करा ली है॥

जो ज़रूरत है वह तो है बेटी
आरज़ू तो फ़क़त मवाली है॥

काश आ जाए हरिश्चंद्र कोई
आज सच्चाई बिकने वाली है॥

क़ब्र में कुछ तो ढूंढने आए
आपके हाथ में कुदाली है॥

आँख नम लब पर थी हँसी इक दिन
आईना आज तक सवाली है॥

दर्द संजीदा ग़ज़ल हैं "सूरज"
और ख़ुशी जो है वह कव्वाली है॥