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ख़्वाब आँखों में सजाने के लिये कोशिश करें / रंजना वर्मा
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ख़्वाब आँखों में सजाने के लिये कोशिश करें
ज़िन्दगी ज़ीनत बनाने के लिये कोशिश करें
है बड़ी खुदगर्ज़ दुनियाँ बात सुनती ही नहीं
दास्ताँ दिल की सुनाने के लिये कोशिश करें
बेवफ़ा तुम भी नहीं हो बेवफ़ा हम भी नहीं
यह हक़ीक़त आज़माने के लिये कोशिश करें
लाख दीवारें उठी हों पर लगन सच्ची रहे
दूर हों तो पास आने के लिये कोशिश करें
है बड़ी गहरी नदी उस पर भँवर के सिलसिले
डूब कर अब पर जाने के लिये कोशिश करें
रेगजारों का सफर है पाँव छालों से भरे
पर कदम आगे बढ़ाने के लिये कोशिश करें
कितने हैं जुल्मों सितम क़ातिल हैं दर दर घूमते
जुल्म दुनियाँ से मिटाने के लिये कोशिश करें