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ख़्वाब आंखों में सजाना छोड़ दे / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
ख़्वाब आँखों मे सजाना छोड़ दे
बेकसी से दिल लगाना छोड़ दे
दोस्ती का हाथ अब आगे बढ़ा
दुश्मनी हम से निभाना छोड़ दे
तू जरा हमदर्दियाँ भी साथ रख
दूसरों पर मुस्कुराना छोड़ दे
बीच धारा में सफ़ीना है मिरा
आँधियों से अब डराना छोड़ दे
आग हिम्मत की हमें भी चाहिये
जुगनुओं सा झिलमिलाना छोड़ दे
भूल सब ग़म सरहदों पर हैं खड़े
बेवजह आँसू बहाना छोड़ दे
देश में चैनो अमन का वास हो
व्यर्थ मुद्दों पर लड़ाना छोड़ दे