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ख़्वाब और मुहब्बत / प्रेरणा सारवान

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ख़्वाब में कभी धड़ होता है
सिर नहीं होता
दिल होता है
धड़कन नहीं होती
इसी तरह मुहब्बत में
क़िरदार होते हैं
वक़्त की सरहदें नहीं होती
परवाज़ होती है
पंख नहीं होते
लेकिन ख़्वाब में कभी-कभी
वक़्त वही होता है
बस क़िरदार नहीं होते
कितने अज़ीब होते है
ये ख़्वाब, ये मुहब्बत भी
कहीं मुमकिन भी नामुमकिन
तो कहीं नामुमकिन
भी मुमकिन हो जाता है।