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खामोशी भी पिघले / कविता भट्ट
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बढ़ गई है
रिश्तों में ठिठुरन
नेह तो मिले।
धूप अब लें जरा
फुरसत हो,
जिंदगी है केतली
तेरा प्यार है-
अदरख की चाय
मीठी चुस्कियाँ
बर्फीले पहाड़-सी
खामोशी भी पिघले।
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