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खामोशी हर प्रश्न का जवाब है / हिमांशु पाण्डेय

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मुझे नहीं लगता
कि खामोशी जवाब नहीं देती।

मैं समझता हूँ
खामोशी एक तीर्थ है
जहाँ हर बुरा विचार
अपनी बुराई धो डालता है ।

ये हो सकता है की तीर्थ के रास्ते में
कठिनाइयों का अम्बार हो,
और इसीलिये हर खामोशी भी शायद
कई गम और निराशाओं का भण्डार हो
लेकिन अंत फिर भी श्रेयस्कर है-
तीर्थ या फ़िर खामोशी।

संस्कार, आचार
सही अर्थों में आत्मा का संचार
जिस तरह तीर्थ दिया करता है
खामोश विश्रब्द्ध एवं शांत,
बस उसी तरह खामोशी भी दिया करती है
हर अनसुलझे, सिमटे और सहमे
प्रश्नों का उत्तरान्त।

वस्तुतः खामोशी हर प्रश्न का जवाब है
और सौंदर्य भी ।