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खामोशी / सुनीता शानू
Kavita Kosh से
आँखों ने आँखों से
कह दिया सब कुछ
मगर-
जुबाँ खामोश रही-
जब दिल ने
दिल की सुनी आवाज़-
धड़कन
खामोश रही-।
तुम्हारे प्यार की
खुशबू से तृप्त
उठती गिरती साँसे देख
पलकें खामोश रही।