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खाली-खाली प्यार करै / मुकेश कुमार यादव
Kavita Kosh से
खाली-खाली प्यार करै, सखी भरमार करै।
देखी जब यार मरै, ज़िया जरी जाय छै॥
भोर भिनसार करै, शिशिर अन्हार करै।
केतना कचार करै, ज़िया डरी जाय छै॥
दिन-रात बात करै, घुमत फिरत रहै।
कहत सुनत डरै, पिया घुरी जाय छै॥
चर-फर करी रहै, फर-फर उड़ी रहै।
चुनरी के देखी कहै, कहाँ उड़ी जाय छै॥
लाख में सुन्दर रहै, हमरो जे वर रहै।
कोठी सानी घर रहै, ज़िया गड़ी जाय छै॥