भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खाली जगह / प्रगति गुप्ता
Kavita Kosh से
कितनी खूबसूरत होती हैं
वो छूटी हुई खाली जगह,
जहाँ कुछ भी बहुत मन का
भरने को जी करता है...
उससे भी खूबसूरत होता है,
वो लम्हा-
जब कोई आपसे पूछे बगैर
आपके मन का सा
उसे भरता चलता है...
यूँ तो खुश,
खुद के भरे रंगों से भी
हुआ जा सकता है...
पर कोई चाह कर आपके लिये जिए
रंग भरता चले,
ये भाव भी तो बहुत खूबसूरत,
अपने आप में बहुत रंगो से
भरा हुआ लगता है...