भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खाली पेट / अभिमन्यु अनत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुमने आदमी को खाली पेट दिया
ठीक किया
पर एक प्रश्न है रे नियति
खाली पेटवालों को
तुमने घुटने क्यों दिये ?
फैलानेवाला हाथ क्यों दिया ?