ई धरा राम केॅ अली के भी
तीन कॅे तीस तों लिखाबोॅ नय।
भूख ईमान केॅ हिलाबै तॅे
देष के आबरू बिकाबोॅ नय।
देह के खून सब बहै तॅ-बहै
ई तिरंगा कभी झुकाबोॅ नय।
भूख ईमान केॅ हिलाबै तॅे
देष के आबरू बिकाबोॅ नय।
देह के खून सब बहै तॅ-बहै
ई तिरंगा कभी झुकाबोॅ नय।