खिचड़ी / अमित कुमार अम्बष्ट 'आमिली'
बचपन में
पता नहीं क्यों
माँ इस दलील पर
हर शनिवार परोस देती थी खिचड़ी
कि ग्रह गोचर से महफ़ूज रहेगा परिवार,
तब तक खिचड़ी मेरे लिए
महज एक भोजन था ।
फिर एक रोज
अखबार में प्रकाशित हुआ
इंटरमीडिएट का परीक्षा फल -
पता नहीं अपने या फिर
माँ -पिता जी के सपने लिए
भेज दिए गए या चल दिए
उनकी ही आंखों से दूर
पटना की पत्थर मस्जिद-वाली
संकरी टेकारी रोड पर, जहाँ
किराये पर बमुश्किल हासिल हुआ था
सात-बाइ-आठ का एक कमरा,
पिताजी ने दिलाया मिट्टी तेल वाला स्टोव
पॉलीथिन में पांच किलो चावल,
शायद उतना ही आटा,
आलू के साथ चने की दाल भी ।
यकीन मानिए तब तक
माँ के इस लाडले ने
कभी चूल्हा भी नहीं जलाया था।
मुश्किल स्टोव को पिन मारकर जलाना नहीं था
मुश्किल था रोटी का गोल होना,
और फिर उसका सलीके से पक जाना !
तब समझ आया -
माँ आखिर क्यों बनाती थी हर हफ्ते खिचड़ी,
मैं बिन सीखे बस माँ की देखा देखी
सीख चुका था बनाना खिचड़ी !
जैसे अभिमन्यु ने गर्भ में ही सीखा था
चक्रव्यूह तोड़ना !
तब मेरे लिए भी खिचड़ी का बना लेना
किसी चक्रव्यूह को तोड़ने से कम न था।
जीवन सफर यूँ ही आगे बढ़ता रहा,
कब अपने पाँव पर खड़ा होना ज़रूरी हो गया-
पता ही नहीं चला!
माँ-पिताजी, जिनकी जिम्मेदारी मैं हुआ करता था
महसूस होने लगा जैसे
अब जिम्मेदारियों की अदला-बदली जरूरी है।
बिहार ने सब कुछ तो दिया, बस
रोटी हेतु पलायन से रोक नहीं पाया,
देश की राजधानी में कदम रखते
मालूम हो चुका था कि
अभी मेरा पापड़ बेलना बाकी है।
सेल्स की टारगेट वाली नौकरी
तय तिथि पर वेतन का न मिलना
तब महज इत्तेफाक नहीं आम बात होती ।
तब शायद घर चलाने को
जीवन-रेखा बन गई थी खिचड़ी ।
उन दिनों मेरी सांसें, संघर्ष और सपने
साथ चलते रहे और बढ़ती रही जिम्मेदारियां,
कुछ ज़िंदगी ने दीं , कुछ मैंने ओढ़ लीं,
बस इस उम्मीद पर
कि मेरे साथ किसी और के चूल्हे पर भी
डबकती रहे खिचड़ी!
दो जून रोटी की तलाश में
जिंदगी ने यायावर बना रखा था,
इत्तेफाक ही रहा
मेरा कोलकाता आकर ठहर जाना!
यकीन मानना! मैं यहाँ आकर ही जाना
अब तक मैं जीवन यापन हेतु जो ग्रहण करता रहा,
वो महज़ एक भोज्य पदार्थ नहीं है,
वो तो देवी माँ का प्रसाद है , भोग है !
शायद तभी माँ और अब मेरी पत्नी भी
उसी यकीन से आज भी
हर शनिवार बनाती है खिचड़ी,
और सच है तमाम झंझावतों के बावजूद
मैं अब तक हारा नहीं हूँ !
अब मेरे लिए महज एक भोजन नहीं है खिचड़ी !
अब खिचड़ी मेरे लिए मेरी आस्था है !