मैंने खिड़कियाँ खोल दी हैं
खोल दिए सारे
रोशनदानों के पट
सारा घर रोशनी से भर गया
सुवासित हो गया तुम्हारी सुगंध से
दरवाज़े खोल देता हूँ
खिड़कियों से जो दिख रहे हैं
जंगल ,पहाड़, नदियों के दृश्य
शायद आ जाएँ भीतर
मै दरवाज़ों-खिड़कियों पर
पर्दे नहीं लटकाता