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खिलखिलाती दहक / नंदकिशोर आचार्य
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एक आग पेड़ में है
एक बर्फ में
आग में आग घुलती है
गलती है
जल हो जाती है
आग में आग रच-बस जाती है
फूटती है
खिल आती है।
हर फूल कोई दहक है जैसे
महकती, खिलखिलाती दहक !
(1980)