ओर-छोर बरसा है जल
उमस में रँधी धरती
रन्ध्र-रन्ध्र भीगी है
आत्मा तर है !
शीतल बयार-सी इसी से तो
खिली है आशिष
जिस में तुम रच-रच जाते हो !
(1976)
ओर-छोर बरसा है जल
उमस में रँधी धरती
रन्ध्र-रन्ध्र भीगी है
आत्मा तर है !
शीतल बयार-सी इसी से तो
खिली है आशिष
जिस में तुम रच-रच जाते हो !
(1976)