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खिलौने हुए हैं उदास / कमलेश कमल

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हाँ, इतिहास में पहली बार
खिलौने हुए हैं उदास
हाँ, पहली बार बच्चों ने माने
कँटीले तारों के बाड़े।

पहली बार होमवर्क से हारा
आम-इमली का शौक भी
और तितलियों के चटख रंग
पहली बार हुए हैं हल्के।

हाँ, पहली बार मुन्नी कम खेली है
पड़ोस की बुढ़िया से
हाँ, पहली बार अनब्याही रही है
कपड़े की गुड़िया।

कन्या से किशोरी
किशोरी से बाला
एक आतुर दौर है
एक अबूझ-सी ज़ल्दी है।

हाँ, ललनाएँ आज की
नहीं रहीं अबला
कि कोई और तय करे
उन्हें रहना है किसके साथ

बन्दूकें कम बिक रहीं मेले में
और मुन्ना भी हो गया मशीन
जो खाली हैं भावों के गुल्लक
क्या मोबाइल की महिमा है?

हाँ, पहली बार झुंझलाया रिश्ता
मानवता विकलाई है
हाँ, पहली बार मशीन जीता है
सहज बुद्धि भरमाई है॥

पहली बार दरकी हैं दीवारें
उस संस्था के नींव की
हाँ, पहली बार इतिहास में
आत्मीयता बोझ हुई है।

हाँ, अचानक से अप्रासंगिक हुए
घर के बूढ़े भी
सीढ़ी घर के नीचे रखे
पुराने फर्नीचर की तरह

पहली बार हुई है दुर्लभ
वह गँवई संवेदना
पहली बार शहर की धूप में
कुछ रिश्ते मुरझाए हैं।

हाँ, खटता रहा यह दौर सारा
सुख की जिद्दी भूख में
हाँ, खो गया जीवन का स्वाद
मोबाइल की गलियों में।