भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खींच ली खाल बाल की होगी / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खींच ली खाल बाल की होगी
बात उसने संभाल ली होगी।

दख्ल होगा कहां दवाओं का
जब कमाई हलाल की होगी।

बेसबब वो खफ़ा नहीं होता
बात कुछ तो मलाल की होगी।

कल वो हंसकर गले मिला मुझसे
दिल से रंजिश निकाल दी होगी।

फ़स्ल से उसका भर गया आंगन
उसने खुद देखभाल की होगी।

फिर वो बोला है सच अदालत में
उसमें जुरअत कमाल की होगी ।

उसकी नेकी न ढूंढिये 'विश्वास'
उसने दरिया में डाल दी होगी।