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खीरां बिच्चै रूई / सांवर दइया
Kavita Kosh से
गरब
गुमेज
अर ईसकै रो
गरभ
बध्यां जावै म्हारै मांय
दिन दूणो
रात चौगणो
म्हैं
कित्ताक दिन
अखन बचूंला ?