खुदगर्ज़ दुनिया में आखिर क्या करें
क्या इन्हीं लोगों से समझौता करें
शहर के कुछ बुत ख़फ़ा हैं इस लिये
चाहते हैं हम उन्हें सजदा करें
चन्द बगुले खा रहे हैं मछलियाँ
झील के बेचारे मालिक क्या करें
तोहमतें आऐंगी नादिरशाह पर
आप दिल्ली रोज़ ही लूटा करें
तजरूबा एटम का हम ने कर लिया
अहलें दुनिया अब हमें देखा करें