खुदेड़ बेटी / भजन सिंह 'सिंह'
बोड़ि<ref>लोट-लौट कर</ref>-बोड़ी ऐगे ब्वै<ref>माँ</ref>। देख। पूस मैना।
गौंकि बेटो ब्वारि ब्वै। मेतु<ref>मायका</ref> आइ गैना
मैतुड़ा<ref>मायका</ref> बूलालि ब्वै। बोइ<ref>माँ</ref> होलि जौंकी।
मेरि जीकूड़ी<ref>हृदय</ref> म ब्वै। कूयड़ी<ref>कुहरा</ref> सि लौंकी<ref>छाया गया</ref>।
मूल्वड़ी<ref>पक्षी विशेष</ref> वासलि ब्वै। डाड्यूं<ref>पहाड़ों</ref> चैत मासज।
भौलि गैने डालि ब्वे। फूलिगे बुरांसज।
माल की धूगति ब्वै। मैत आंदि होली।
डाल्युं मां हिलांस ब्वै। गीत गांदि होली।
ऊलरि मैनो कि ब्वै। ऋतु बोड़ि ऐगे।
हैरि ह्वेने डांडि ब्वै। फूल फूलि गैने।
घूगती घुरलि ब्वै। डाल्यूं-डाल्यूं मांजअ।
मैतुड़ा बुलालि ब्वै। बोह होलि जौंकी।
मेरि जीकूड़ी म ब्वै। कूयड़ी-सि लौंकी॥
लाल बअणी होलि ब्वै। काफुलू<ref>फल विशेष</ref> कि डाली।
लोग खान्दा होला ब्वै। लूण रालि राली।
गौंकि दीदी-भूलि ब्वै। जंगुल न जाली।
कंडि मोरि-मोरि<ref>मिला-मिला कर</ref> ब्वै। हींसर<ref>फल विशेष</ref> बिराली।
‘बाडुलि<ref>स्मृति की हिचकियां</ref> लागलि ब्वै। आग भभराली<ref>शब्द होना</ref>’।
बोई बोदि होलि ब्वै। मैत आलि-आली।
याद ओंद मीत ब्वै। अपड़ा भुलौंकी।
मेरि जोकूड़ी म ब्वै। कूयड़ी-सि लौंकी॥
ल्हालि कूरो<ref>एक प्रकार की घास</ref> गाडिब्वै। गौं कि बेटि-ब्वारी।
हैरि-भरीं होलि ब्वै। गेंउ-जो, कि सारी<ref>खेत</ref>।
यं बार मैनों कि ब्वै। बार ऋतु आली।
जौंकि बोई होलि ब्वै। मैतुडा बुलाली।
मैतु ऐ-गै होलि ब्वै। दीदि-भूलि गौंकी।
मेरि जीकूड़ी म ब्वै। कूयड़ी-सि लौंकी॥
स्वामिजी हमेशा ब्वै। परदेश रैने।
साथ का दगड़या<ref>दोस्त</ref> ब्वै। घअर आइ गैने।
ऊंकु प्यारी ह्वेगि ब्वै। विदेशू को वासअ।
बाठा देखी-देखी ब्वै। गैनि दिन-मासअ।
बाडुलि लागलि ब्वै। आग भभराली।
या त घअर आला, ब्वै। या त चिट्ठिं आली।
चिट्ठि भी नी आइ ब्वै। तब बटी तौंकी।
मेरि जीकूड़ी म ब्वै। कूयड़ी-सि लोंकी॥
बाबजी भी मेरा ब्वै। निरमोही रैने।
जौन पाथो<ref>माप विशेष</ref> भोरि ब्वै। मेरा रूप्या खैने।
गालि देंद सासु ब्वै। मैं-बाबु<ref>से</ref> कि मारी।
बासि खाणू देंद ब्वै। कोलि मारी मारी।
बोद तेरो बाबु ब्वै। जो रूपया नि खांदो।
मेरो लाड़ो-प्यारी ब्वै। विदेशू नि रांदो।
बाबा न बणये ब्वै। इनि गति मेरी।
ज्वानि तअ उड़िगे ब्वै। वाठो हेरी-हेरी।
चिट्ठी भी नी आइ ब्वै। तब बटी तौंकी।
मेरि जीकूड़ी<ref>हृदय</ref> म ब्वै। कूयड़ी-सि लौंकी॥