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खुद अपने ही तजरिबात से डरता हूँ / रमेश तन्हा

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खुद अपने ही तजरिबात से डरता हूँ
अहसास की वारिदात से डरता हूँ
माहौल में ज़हर भर गया है इतना
आदम की ही अब तो ज़ात से डरता हूँ।