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खुद जली दिल जला गयी होली / आनंद कुमार द्विवेदी
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फिर अदावत निभा गयी होली ,
खुद जली, दिल जला गयी होली !
रंग बरसा न फुहारें बरसीं ,
टीस मन में जगा गयी होली !
दर्द के श्याम, पीर की राधा,
रंग ऐसा दिखा गयी होली !
राह तकता रहा अबीर लिए ,
वो न आये, क्यूँ आ गयी होली ?
उम्र भर तुम भी जलो, मेरी तरह
बोलकर यह सजा गयी होली !
वाह ‘आनंद’ की किस्मत देखो ,
दर्द को कर दवा गयी, होली !!