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खुशबुएँ काग़ज़ी हैं / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग
Kavita Kosh से
जब भी तेरा ख़याल आया है
दिल ने सोचा है
किस तरह कर दूँ
चन्द ताज़ा गुलाब तेरे नाम!
खुशबुएँ काग़ज़ी हैं ज़्यादातर
और गमले उदास रहते हैं
कोई कितना मसल मसल जाये
फूल अब आह तक न कहते हैं
कैक्टसों की हज़ार किस्मों में
मैंने ढूँढ़ा है खुद को सुबहोशाम!
जब भी तेरा ख़याल आया है
दिल ने सोचा है
किस तरह कर दूँ
चन्द ताज़ा गुलाब तेरे नाम।