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खुशामद / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग

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मुझ से छूटे हुए साहिल की खुशामद न हुई,
मुझसे रूठी हुई मंजिल की खुशामद न हुई,
दर्द की गोद में कुछ और भी जी लेता मैं
पर मेरे दिल से ही क़ातिल की खुशामद न हुई।