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खुश है धरती यहाँ / हरिवंश प्रभात
Kavita Kosh से
खुश है धरती यहाँ, खुश है अपना गगन
आपका स्वागतम्, आपको है नमन।
हाथ में पुष्प की माला है प्यार है
इसके दिल में बसा अपना उद्गार है।
आपके आगमन से है सुरभित चमन।
आपका स्वागतम्....
सूखी नदियों में पानी उतरने लगा
मन का सूखा जलाशय भी भरने लगा,
है कृपा आपकी लाये अपने चरण।
आपका स्वागतम्....
न्याय नीति भी हो घर में उजियारा हो,
द्वेष मिट जाये सबके दिल भाईचारा हो,
भूलकर धर्म-जाति हो सबका मिलन।
आपका स्वागतम्....
आप आशीष दें, हम भी आगे बढ़ें,
संकटों में सफलता की सीढ़ी चढ़े,
ज्ञान आभा से आ जाये नव जागरण।
आपका स्वागतम्....