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खूंटी पै तै झोला तार कै रै / हरियाणवी

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खूंटी पै तै झोला तार कै रै
मन्ने झोला दीए पकड़ा
रै मन्ने जाणा नौकरी
पोली में बिस्तर गेर कै रे
रे वो बैठ्या तखत बिछाय
रै गोरी कह दे जाण की
जाणै की कहैगी तेरी मां
ओ पिआ जाणे की कहूं ना मूल जी
के गए थे नौकरी बूझ कै
मूड् तुड् महलें चढ़ गई
चीरे वाला चमकदा जाय
री नदियां की ओट में हो लिआ
महलां तै नीचै ऊतरी
पोलां मैं मेरी सास
री औबरै मैं बड़ कै रो पड़ी
किस का पीसूं पीसणा
री सासड़ किस के खिलाऊं नंदलाल
री मन्नै किस के भरोसै छोडग्या
जेठा का पीसो पीसणा
ए बहू देवर के खिलाले नंदलाल
री तन्नै म्हारै भरोसै छोड़ग्या
बगड़ बखेरूं पीसणा री सासड़
बालकां की तोडूं नाड़
री मन्नै राम भरोसै छोड़ग्या
बीरण आया लेण नै री सासड़
मैं तो चली बीरण के साथ
पीहर मैं दिनड़े तोड़ ल्यूं
भाभी तान्नै मारदी री
म्हारा ग्या ननदोई परदेस
छात्ती पै छलेवा छोड़ग्या
बार तै मायड़ आ गई
ए बेट्टी किस नै बोले बोल
ए बेट्टी साच्ची साच बता दीए
भावज तान्ने मारदी री मायड़
तेरा ग्या री जमाई परदेस
री छात्ती पै छलेवा छोड़ग्या