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खूनी पकड़ रहया सरकार नै छन्द समझणियां नै टोहवै / मेहर सिंह
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खूनी पकड़ रहया सरकार नै छन्द समझणियां नै टोहवै।टेक
मींह बरसै जब सुकै गारा, शेर घेर बकरी नै मारया,
छिपग्या सुरज होया दोफारा,
चाकी दली गवार नै पीसण आली भी सौवै।
धेनु गाय लिकड़ी थी घी मैं
रोटी ठा माणस नै जीमैं
सुई भी दर्जी नै सीमै
घोड़ा पीट रहा असवार नै बीज हाली नै बोवै।
धरती तलै एक बादल गरज्या
अन्न खा ले तै माणस मरज्या
चोर नै धन गाड कै धर ज्या
पापी सजा दे करतार नै यमराज खड़या हो रोवै।
पिता के संग एक पुत्री ब्याही
उस पुत्री नै माता जाई
मरग्या पिता मौत न आई
मेहर सिंह मूढ़ गंवार नै छन्द तार दिया कती चौवै।