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खूबसूरत-सा कोई ख़्वाब सँवर जाने दो / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
खूबसूरत-सा कोई ख़्वाब सँवर जाने दो।
मेरी आँखों से मेरे यार गुज़र जाने दो॥
आज राहों में मेरी इश्क़ है सज़दे करता
ग़र हो मुमकिन तो यहीं वक्त ठहर जाने दो॥
लोग बेख़ौफ़ हो दहशत की तिज़ारत करते
कोई मासूम न दहशत से यूँ मर जाने दो॥
खुशबुओं पर कभी बंदिश न लगाना इनकी
फूल हैं बाग़ के कुछ और निखर जाने दो॥
आये हर एक दुआ बर ये ज़रूरी तो नहीं
हो न पाये जो दुआओं का असर जाने दो॥
एक मौका भी कभी व्यर्थ न जाने देना
राह भूले जो उन्हें लौट के घर जाने दो॥
अब न नफ़रत का कोई दौर चले ध्यान रहे
जज़्ब ए प्यार हरिक दिल में उतर जाने दो॥