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खूबसूरत दृश्य बन मन को लुभाते क्यों / रंजना वर्मा

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खूबसूरत दृश्य बन मन को लुभाते क्यों।
सृष्टि के हर एक कण में तुम समाते क्यों॥

यदि न हो उम्मीद या उल्लास कोई भी
पर गुजरते वक्त से रिश्ता निभाते क्यों॥

जिंदगी तो एक है बिखरा हुआ धागा
नित अनोखी उलझनों में हो फँसाते क्यों॥

जानते हम है मुसीबत आ पड़ी सिर पर
हल इन्हें कर के नहीं पीछा छुड़ाते क्यों॥

अब चलें चलकर यहाँ कुछ काम निबटाएँ
व्यर्थ की कर बतकही मौका गंवाते क्यों॥

साँवरे के है नयन की मदभरी चितवन
राधिका के नैन से नजरें मिलाते क्यों॥

खो दिया करते सभी सुन चेतना अपनी
मुग्धकारी बाँसुरी पर धुन सुनाते क्यों॥