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खूब इठलाय लेॅ आकाशोॅ में पानी में अभी / अमरेन्द्र

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खूब इठलाय लेॅ आकाशोॅ में पानी में अभी
कौनें रोकेॅ भी सकेॅ तोरोॅ जुआनी में अभी
एक दिन अँगुठी भी अँगुरी लेॅ मुसीबत होय छै
तोहें चाहोॅ तेॅ दहौ हमरा निशानी में अभी
राजा नरमैलोॅ छै परजौ सें भी बोलै छै मतर
नाज छै नखरा छै गुस्सौ भी छै रानी में अभी
एक दू सें सुनीकेॅ नाम अपनोॅ ई भय छौं
नाम आबै लेॅ तेॅ बाकी छौं कहानी में अभी
तोहें धीरज केॅ नै छोड़ोॅ सुनोॅ आकाशोॅ में
आग लागतै जरूर लागलोॅ छै पानी में अभी
जों वेवस्था नै बदललोॅ छै अभी तक तेॅ सुनोॅ
धार ऐलोॅ नै छै गजलोॅ के रवानी में अभी

(पीर का पर्वत पुकारे सें)