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खेजड़ी री ख्यात / शंकरसिंह राजपुरोहित
Kavita Kosh से
धोरा-धरती री धणियाणी
कै करसै री कांमण ?
वित्त-मवेषियां री मालकण मानूं
या मिनख रै थरप्योड़ा
थानां-भगवानां री छिंयां ?
पण कोनीं थूं पूगळ री मूमल
ना रूप री रंभा पदमण
किंया कैऊं रूठी-राणी ?
थूं तो है--
इमरती देवी रो इमरत,
झांसी री राणी ज्यूं
इण ऊबड़-खाबड़ आंगणै
ठौड़-ठौड़ ऊभी है थूं।
थारा खोखा बाजै--
जेठ री जळेबी,
ऊंट-बकरियां अर भेडां री
भूख मिटावै थारा लूंग,
मरुधरा रै मिनख री कल्पना रौ
साकार रूंख है थूं,
थारी छिदी-माड़ी छिंया में बैठ
चींतै बो--
सगळां रै सुख री कामना।