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खेती किसान की तो यहाँ अब जुआ लगे / कैलाश झा 'किंकर'
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					खेती किसान की तो यहाँ अब जुआ लगे
वर्षा-सुखाड़-शीत भी दुख में सना लगे। 
रहते हैं आजकल तो बहुत व्यस्त अफ़्सरां
हर काम हो समय पर तो बिल्कुल भला लगे। 
सर आँखों पर उठा के करेंगे ही वाह-वाह
किरदार ज़िन्दगी का सफल तो ज़रा लगे। 
आँसू, विषाद, जख़्म, दगाबाजियाँ बहुत
मुझको जहान सारा ग़मों का क़िला लगे। 
रोते रहेंगे लोग भला कब तलक यहाँ
अब हासिए पर पौध ख़ुशी का हरा लगे।
	
	