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खेतों-खलिहानों की,फसलों की खुशबू / ओमप्रकाश यती

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खेतों- खलिहानों की, फ़सलों की खुशबू
लाते हैं बाबूजी गाँवों की खुशबू

गठरी में तिलवा है ,चिवड़ा है,गुड़ है
लिपटी है अम्मा के हाथों की खुशबू

मंगरू भी चाचा हैं, बुधिया भी चाची
गाँवों में ज़िन्दा है रिश्तों की खुशबू

बाहर हैं भइया की मीठी फटकारें
घर में है भाभी की बातों की खुशबू

खिचड़ी है,बहुरा है,पिंड़िया है,छठ है
गाँवों में हरदम त्यौहारों की खुशबू