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खेत खरिहानी जाली हाली-हाली खाली / महेन्द्र मिश्र

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खेत खरिहानी जाली हाली-हाली खाली
लेके खुरूपी कुदारी झूर कोरेली डँरार के।
झगड़ेली राहे बाटे घरे कुकुराह करे
घरे-घरे घूमे जइसे कुतिया कुवार के।
छिरकेली नटा, पोटा पोंछ गोझनवटा में
कजरा लुआठे, दागे चूल्ही से निकार के।
कहत महेन्द्र इहे लच्छन करकसा के
मुंहे-मुंहे थूर-थूर मारेली भतार के।