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खेत मेरा हमवार बना दे ऐ मौला / शोभा कुक्कल

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खेत मेरा हमवार बना दे ऐ मौला
पेड़ भी सायादार लगा दे ऐ मौला

नारी पर जब मुश्किल कोई भी आये
चुनरी को दस्तार बना दे ऐ मौला

मेरे जीवन की छोटी सी बगियाँ में
रंगबिरंगे फूल खिला दे ऐ मौला

देश पड़ा हो जब भी किसी मुश्किल में तो
मेरा कलम तलवार बना दे ऐ मौला

दुखियों का दुख दूर करूँ मैं हरदम ही
चाहे तो अवतार बना दे ऐ मौला

कांटों का रस्ता है जीवन मेरा ये
इसको तू गुलज़ार बना दे ऐ मौला

कितना भी हो मुश्किल रस्ता लेकिन अब
इसको तू हमवार बना दे ऐ मौला

जिसमें नहीं हो कोई झगड़े कोई दुख
ऐसा तो संसार बना दे ऐ मौला

खुश कर पाऊं इष्ट देव को अपने में
ऐसा तू फ़नकार बना दे ऐ मौला।