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खेलत वायु फूलवन में, आओ प्राण-पिया / काजी नज़रुल इस्लाम

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खेलत वायु फूलवन में, आओ प्राण-पिया।
आओ मन में प्रेम-साथी आज रजनी, गाओ प्राण-पिया।।
मन-वन से प्रेम मिलि खेलत है फूलकली,
बोलत है पिया पिया बाजे मुरलिया।।
मन्दिर में राजत है पिया तब मूर्ती।
प्रेम-पूजा लेओ पिया, आओ प्रेम साथी।।
चाँद हसे तारा साथे आओ पिया प्रेम-रथे
सुन्दर है प्रेम-राती आओ मोहनिया आओ प्राण पिया।।