खेलिए और खाईये यो धन माल तेरा सै / मेहर सिंह
जवाब सौदागर का
जिसा विधवा बीर का इसा हाल तेरा सै।
खेलिए और खाईये यो धन माल तेरा सै।टेक
एक भठियारी चन्डाल कै तूं बणकै दासी रहती
इस चन्दा सी शान कै क्यूं ला कै फांसी रहती
आड़ै मोहन भोग मिलै खाण नै उड़ै भूखी प्यासी रहती
अन्न भोजन ना मिलै खाण नै तूं निरणा बासी रहती
जिसकी गैल फिरै वो पति कंगाल तेरा सै।
सेठां के घर सेठाणी वो तेरे केसी हों सैं
उंच नीच नै कुछ ना जाणै वो तेरे केसी हों सैं
दुनियां के म्हां धक्के खाणी तेरे केसी हों सैं
जो प्यासे नै ना प्यावै पाणी वो तेरे केसी हों सैं
के तो कहणा मान ले ना तै काल तेरा सै।
बेशर्मी का काम सै कित नाक डुबोवैगी
अगली पिछली बिचली जचली सारी खोवैगी
मोड़ी नहीं नाड़ मुड़ती फेर कित ज्यान ल्हकोवैगी
इब तो ठल्ला जाणैं से फेर पाच्छै रोवैगी
मुझ दुखिया का सुणती ना कित ख्याल तेरा सै।
जो बालक की सुण ली तो मैं अर्ज करुं हर तै
एक दिन दिल न्यूं बन्द होज्या जैसे पक्षी बिन पर तै
चुगल भाईयों ने बैग लगा कै गरीब काढ़ दिये घर तै
दुनियां कै म्हां फिरै भरमता उठै लोर जिगर तै
मेहर सिंह लखमीचन्द नै भी नहीं सुण्या जो सवाल तेरा सै।