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खेलें खेल / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
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छुक-छुक करती आयी रेल
आओ, हिल-मिल खेलें खेल !
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आँख-मिचैनी, खो-खो और
दौड़ा-भागी सब-सब ठौर !
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टिन्नू मिन्नू पिन्नू साथ
हँस-हँस और मिला कर हाथ !
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कूदें - फादें घर दीवार
चाहें जीतें, चाहें हार !
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कसरत करना हमको रोज़
ताक़तवर हो अपनी फ़ौज !
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सब कुछ करने को तैयार;
नहीं कभी भी हों बीमार !
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आपस में हम रक्खें मेल !
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छुक-छुक करती आयी रेल
आओ, हिल-मिल खेलें खेल !