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खेल-गीत (बाल कविताएँ) / भाग 21 / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

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1-अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बो

अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बो
आसमान में बादल सौ ।
सौ बादल हैं प्यारे
रंग हैं जिनके न्यारे ।

हर बादल की भेड़ें सौ
हर भेड़ के रंग हैं दो ।
भेड़ें दौड़ लगाती हैं
नहीं पकड़ में आती हैं ।

बादल थककर चूर हुआ
रोने को मजबूर हुआ ।
आँसू धरती पर आए
नन्हें पौधे हरषाए ।
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2- लाल बुझक्कड़

अक्कड़- बक्कड़
लाल बुझक्कड़ ।
सिर पर लादे
मोटा लक्कड़ ।
कभी सोचता
कभी दौड़ता ।
खूब उड़ाता
धूल व धक्कड़ ।
हँसकर बोले
सदा प्रेम से ।
मौज उड़ाता
बनकर फक्कड़ ।

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3-जब खेलने आए बच्चे

जब खेलने आए बच्चे-
हवा चली जी , हवा चली
तेज चली जी ,तेज चली
टूटे पत्ते , छूटे पत्ते ।
बिखरे पत्ते ,पत्ते - पत्ते
पत्ते दौड़े ,आगे-आगे
पीछे - पीछे ,हम भी दौड़े
कभी इधर को ,कभी उधर को
नहीं पकड़ में ,वे आ पाए
हम भी हारे , वे भी हारे ।
आए पास में चुपके- चुपके
अब पकड़ में आए पत्ते ,
सबने सभी उठाए पत्ते ।

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