भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खेल नया:आखेट / कुमार रवींद्र
Kavita Kosh से
					
										
					
					खेल नया 
मृगछौने शामिल हैं अपने आखेट में 
 
जादू के जंगल में 
पाँव सभी बँधे हुए 
अनुभवी शिकारी के 
दाँव सभी सधे हुए 
 
मीठी है चंदन की बीन बड़ी 
                            तेज छुरे टेंट में  
 
सूखे जल-ताल-कुएँ
प्यासे हैं घर सारे 
कंधे पर जाल लिये
फिरते हैं मछुआरे 
 
मोती की मीनारें -
     झील छिपी मछली के पेट में  
 
काँच के किले ऊपर 
चौकी है सपनों की 
गैरों के हिस्से हैं 
जायदाद अपनों की 
 
धूप थकी 
बूढ़े आकाश दिए राजा ने भेंट में
	
	